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ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है

ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है

ड्रैगन फ्रूट को पिताया के नाम से भी जाना जाता है। यह कैक्टस की प्रजाति का ही एक फल है। यह अन्य फलो की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है। ड्रैगन फ्रूट बहार से अनानास के जैसे प्रतीत होता है। लेकिन अंदर से यह कीवी के जैसा दिखता है, इसका गूदा सफ़ेद रंग का होता है और छोटे छोटे काले बीजो से भरा हुआ होता है। यह फल गुलाबी रंग का होता है और इसकी बाहरी त्वचा पर हरे रंग की पंक्तियाँ होती हैं, जो बिल्कुल ड्रैगन के जैसे दिखाई पड़ती हैं। इसीलिए इसे ड्रैगन फ्रूट के नाम से जाना जाता है। 

ड्रैगन फ्रूट दक्षिणी अमेरिका का फल है। ड्रैगन फल की खेती उष्ण जलवायु में की जाती है। फसल के पकाव के लिए उचित तापमान 20 -36 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता रहती है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक सीजन में कम से कम 3 -4 बार फल देता है। एक ही पौधे पर 50 -120 के तकरीबन फल लगते है। ड्रैगन फ्रूट को आँखों की रौशनी और त्वचा के मॉइस्चर के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इस फल की खेती इसलिए ख़ास मानी जाती है, क्योंकि इसमें एक बार पैसा लगाने के बाद कई वर्षो तक मुनाफा उठाया जा सकता है। 

यह फल पोषक तत्वों से भरपूर है 

इस फल की कीमत अन्य फलो की तुलना में अधिक रहती है। यह हृदय को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। किसान पारम्पारिक खेती को छोड़ कर इस खेती की और आकर्षित हुए है। फसल की अच्छी उत्पादकता और पैदावार के लिए सफल और उन्नत किस्मो का उपयोग करें। साथ ही इसमें बहुत से विटामिन और मिनरल्स भी पाए जाते है, जो रोगों से लड़ने में सहायक रहते है। 

ड्रैगन फ्रूट की किस्में 

ड्रैगन फ्रूट की मुख्यत: किस्में तीन प्रकार की होती है , इन तीनो किस्मो में से किसान किसी भी किस्म का उत्पादन कर सकता है। ड्रैगन फ्रूट की किस्में इस प्रकार है ,1  सफ़ेद गूदा वाला गुलाबी रंग का फल , 2 लाल गूदे वाला लाल रंग का फल ,3 सफ़ेद गूदे वाला पीले रंग का फूल।  इन सभी किस्मो का उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है। 

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कैसे करें इसकी खेती 

इसकी खेती भी सामान्य रूप से ही की जाती है।यह किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है , लेकिन ज्यादा बेहतर दोमट और बलुई मिट्टी को माना जाता है।  इसके पौधो को खेत में 5  हाथ की दूरी पर लगाया जाता है। और अन्य फसलों के समान इसमें सिंचाई का काम किया जाता है।  बुवाई के बाद पौधो में हल्की सिंचाई की जाती है , उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई की जाती है। इसकी खेती ज्यादातर अप्रैल से मई के माह में की जाती है वैसे यह एक बारहमासी पौधा है। 

खाद और कीटनाशक 

किसानों द्वारा फसल को खरपतवार से बचाने के लिए समय पर नराई और गुड़ाई का काम किया जाना चाहिए। साथ ही फसल की अच्छी उत्पादकता और पैदावार के लिए खेत में खाद और अन्य रासायनिक कीटनाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है। जुताई करते वक्त किसान खेत में गोबर की खाद का भी उपयोग कर सकता है, इससे फल निरोगी रहते है। कलियाँ निकलने पर पौधे पर विशेष ध्यान दिया जाता है , क्योंकि उस समय रोग लगने की ज्यादा सम्भावनाये होती है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान इतना कमा सकता है 

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसान को पहले उस खेती में निवेश करना पड़ता है यानी कम से कम 8 -9 लाख रुपया का निवेश किसान द्वारा किया जाता है। इस फसल को ज्यादा प्रबंधन की आवश्यकता नहीं रहती है। बुवाई के दूसरे वर्ष के बाद से ही किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। इन दिनों ड्रैगन फ्रूट की कीमत बाजारों में बढ़ती जा रही है। 

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ड्रैगन फ्रूट की कीमत बाजार में 200 -250 रुपया प्रति किलो है। इस फल के उत्पादन किसान भारी मुनाफा कमा सकते है।  इस फल की खेती के लिए किसानों को हर साल जोखीम लेने की भी आवश्यकता नहीं है।  एक बार लगने पर यह कई वर्षो तक फल देता है। किसान अन्य फसलों की तुलना में इस फसल से ज्यादा मुनाफा कमा रहा है ,इसकी खेती में बहुत ही कम एकदम न के समान कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान साल में 5 लाख प्रति एकड़ कमा सकते है। एक बार पौधे लगाने के बाद यह 30 -35 वर्ष तक फल देता है। अब इस चीज से अनुमान लगाया जा सकता है किसान इन सालो में अच्छा मुनाफा कमा सकता है। ड्रैगन फ्रूट की फसल के लिए खेत को तैयार करने में लगभग 9 -10  लाख का खर्चा आता है। लेकिन इससे मिलने वाली आय 1 करोड़ से भी ज्यादा कमाई जा सकती है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों कमा रहे किसान

ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों कमा रहे किसान

हमारे यूजर श्री संजय शर्मा जी, राकेश कुमार ग्राम कलुआ नगला, ने ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानकारी मांगी थीड्रैगन फ्रूट मूलतः वियतनाम,थाईलैंड,इज़रायल और श्रीलंका में मशहूर है.या आप कह सकते हैं की वहीं से ये दुनियां में फैला है.ड्रैगन फ्रूट का पेड़ कैकटस प्रजाति का होता है। इसे कम उपजाऊ मिट्टी और कम पानी के साथ भी उगाया जा सकता है। इसको बीज के साथ भी उगाया जा सकता है लेकिन ये एक लम्बी और कठिन प्रक्रिया है इसको कटिंग के साथ उगाने की सलाह दी जाती है इसके फ्रूट से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं इसको खाने से मधुमेह, शरीर में दर्द और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो की शरीर को कई तरह के रोगों से लड़ने में सहायता करता है। भारत में भी इसकी मांग बढ़ती जा रही है। इसलिए ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत में भी बढ़ने लगी है।

लगाने का समय:

ड्रैगन फ्रूट को साल में दो बार लगाया जा सकता है एक फरवरी और सितम्बर के महीने में इसको लगाते समय ध्यान रखना चाहिए की मौसम ज्यादा गर्म न हो जिससे की पौधे को ज़माने में दिक्कत न हो। जैसा की हमने ऊपर बताया है इसकी कटिंग को लगाना ज्यादा अच्छा होता है और उसके जल्दी से फल आने की गारंटी होती है। इसके फल सितम्बर से दिसंबर तक आते हैं इनको 5 से 6 बार तोडा जाता है।

मिट्टी की सेहत:

इसको जैसा की हमने बताया है इसको किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है दोमट मिटटी सबसे ज्यादा मुफीद होती है लेकिन क्योकि ये कैक्टस प्रजाति का पौधा है तो इसे कम उपजाऊ,पथरीली और कम पानी वाली जगह भी आसानी से उगाया जाता है। इसकी मिटटी में जल जमा नहीं होना चाहिए. ये पौधा कम पानी चाहता है. बेहतर होगा की इसको ऐसी जमीन में लगाया जाना चाहिए जहाँ पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था हो और जहाँ पानी  का ठहराब न हो।

उपयुक्त जलवायु:

इसको बहुत ज्यादा तापमान भी बर्दास्त नहीं होता नहीं होता है तो इससे बचने के लिए इसके लिए छाया की व्यवस्था की जा सकती है. वैसे गर्मी से बचने के लिए इसमें समय समय पर पानी देना होता है. पानी देने के लिए ड्राप सिचांई ज्यादा अच्छी रहती है. एक बार कम तापमान में इसका पौधा जम जाये तो ये ज्यादा तापमान को भी झेल लेता है।

खेत की तैयारी:

इसके लिए खेत को समतल करके अच्छी जुताई करके 2 मीटर के अंतराल पर 2 X2 X2 फुट के गड्ढे बना देने चाहिए तथा इसको 15 दिन के लिए खुला छोड़ देना चाहिए जिससे की इसकी गर्मी निकल जाये उसके बाद इसमें गोबर की सूखी और बनी हुई खाद बालू , मिटटी और गोबर को बराबर के अनुपात में गड्ढे में भर देना चाहिए और कटिंग लगाने के बाद रोजाना शाम को ड्राप सिंचाई करनी चाहिए. ये पौधे को जमने में और बढ़ने में सहायता करता है।

ड्रैगन फ्रूट्स के प्रकार:

[caption id="attachment_2984" align="aligncenter" width="300"]Dragon fruit ड्रैगन फल[/caption] ड्रैगन फ्रूट्स ३ तरह के होते है. लाल रंग के गूदे वाला लाल रंग का फल , सफेद रंग के गूदे वाला पीले रंग का फल और सफेद रंग के गूदे वाला लाल रंग का फल. सभी तीनों तरह के फल भारत में उगाये जा सकते हैं. लेकिन लाल रंग के गूदे वाले लाल फल को भारत में ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है. लेकिन इसकी उपज बाजार की मांग के अनुरूप करनी चाहिए. इसका बजन सामान्यतः 300 ग्राम से 800 ग्राम तक होता है और इसके फल की तुड़ाई एक पेड़ से 3 से 4 बार होती है।

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रखरखाब:

  • इसके पेड़ को किसी सहारे की जरूरत होती है क्योकि जब पेड़ बढ़ता है तो ये अपना वजन सह नहीं पता है तो इसके पेड़ के पास कोई सीमेंटेड पिलर या लकड़ी गाड़ देनी चाहिए जो की इसके पेड़ का बजन सह सके।
  • आप ड्रैगन फलों के पौधों को कटिंग और बीज दोनों से उगा सकते हैं। हालांकि, बीज द्वारा ड्रैगन फल की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि इसमें लंबा समय करीब करीब 5 साल का वक्त लग जाता है।
  • जब आप कटिंग से ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं, तो 1 फुट लंबाई का 1 साल पुराना कटिंग लगाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
  • ड्रैगन फ्रूट कुछ शेड को सहन कर सकता है और गर्म जलवायु परिस्थितियों को प्राथमिकता देता है। इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है.ड्रैगन फ्रूट प्लांट को मध्यम नम मिट्टी की आवश्यकता होती है जो कि ड्राप सिंचाई से पूरी कि जा सकती है.
  • आप फूल और फल आने के समय पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं। ड्रैगन फ्रूट कि खेती में ड्रिप सिंचाई ही सबसे उपयुक्त होती है।
  • ड्रैगन फल आसानी से बर्तन, कंटेनर, छत पर और घर के बगीचे के पिछवाड़े में उगाए जा सकते हैं.यदि आप कंटेनर को सूरज की रोशनी के लिए खिड़की के पास रखते हैं, तो ड्रैगन फलों को घर के अंदर उगाया जा सकता है।
  • ड्रैगन फलों के पौधों को दुनिया के उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय स्थानों में उगाया जा सकता है।
  • किसी भी अन्य फलों के पौधों की तरह, ड्रैगन फलों के पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • ड्रैगन फ्रूट के पौधों को 40 ° C के तापमान तक सबसे अच्छा उगाया जा सकता है।

बाजार:

इसकी मांग वहां ज्यादा होती है जहाँ हेल्थ को लेकर लोग जागरूक होते है इसका मतलब है की आप इसको बड़े शहरों में बेच सकते हो जहाँ आपको इसकी अच्छी कीमत मिल जाएगी. इसका कीमत 150 से 250 रुपये किलो के हिसाब से होती है इसको अगर एक्सपोर्ट करना हो तो जैसे ही इसका रंग लाल होना शुरू हो तभी इसको तोड़ लेना चाहिए तथा ध्यान रहे की इसमें कोई निशान या किसी बजन से दबे नहीं, नहीं तो इसके ख़राब होने के चांस बढ़ जाते है।

रोग:

ड्रैगन फ्रूट में कोई रोग नहीं आता है अभी तक ऐसा कुछ रोग इसका मिला नहीं है हाँ लेकिन ध्यान रहे जब इसके फूल और फल आने का समय हो उस समय मौसम साफ और शुष्क होना चाहिए आद्रता वाले मौसम में फल पर दाग आने की संभावना रहती है. रखरखाब में सबसे ज्यादा इसको लगाने के समय पर जरूरत होती है।

खाद:

  • ड्रैगन फ्रूट्स को खाद की जरूरत ज्यादा होती है. ये एक गूदा वाला फल होता है तो इससे अच्छा और बड़ा फल लेने के लिए इसके  फलों के पौधों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
  • पौधे की उपलब्धता और बाजार के बारे में स्थान स्थान के हिसाब से बदल जाते हैं. इसके लिए बेहतर है की आप अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से बात करें तथा पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसकी खेती शुरी करें।